भारतीय एवं विश्व इतिहास

इतिहास के पन्नों से.....

अजन्ता में ऐसे बौद्ध भिक्षुओं की संख्या काफी थी जिनकी प्रसिद्धि पूरे देश में थी। इनमें से एक का नाम स्थविरचल था। इस भिक्षु का नाम अजन्ता की गुहा संख्या-24 के लेख को आया है। यह वही भिक्षु है जिसका उल्लेख हवेनसांग ने अर्हत 'अचेलो' के नाम से किया है। स्रोत : जी. याजदानी, दक्कन का प्राचीन इतिहास पृष्ठ 184 ।

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भारत का इतिहास

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मुगलकाल में आये प्रमुख विदेशी यात्री

मुगलकाल में आये प्रमुख विदेशी यात्री

1. राल्फ फिच (1583-91 ई.): यह अकबर के समय में पहुँचने वाल अंग्रेज यात्री था। इसने फतेहपुर सीकरी एवं आगरा की तुलना लंदन से किया था।

2. कैप्टन हाकिन्स (1608-11 ई.): यह ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में जहाँगीर के दरबार में पहुँचा। जहाँगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया।

3. सर टामस रो (1615-18 ई): यह ब्रिटिश सम्राट जेम्स । के राजदूत के रूप में जहाँगीर के दरबार में आया था।

4. पित्रो- डेलावले (1623-26 ई.): यह इटली यात्री 1623 ई. में सूरत पहुँचा था। इस समय जहाँगीर शासक था।

5. पीटर मुंडी (1630-34 ई.): यह इटली यात्री शाहजहाँ के शासनकाल में भारत की यात्रा की


6. ट्रैववर्नियरः यह इटली यात्री (1638-63 ई. ) भारत की 6 बार यात्रा की तथा हीरा का व्यापारी होने के कारण हीरा व्यापार के बारे में महत्वपूर्ण विवरण दिया है।।

7. मनूची (1653-1708 ई.): यह इटली यात्री यहाँ आकर शाहजहां  के समय  दाराशिकोह की सेना में तोपची की नौकरी कर ली। बाद में चिकित्सक का पेशा अपनाया।

8. बर्नियर (1665-1707 ई.): शाहजहाँ के समय में भारत आया शाहजहाँ के पुत्रों के बीच उत्तराधिकार के युद्धों का वर्णन किया है।।.....

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सीद्दी मौला का विद्रोह

 यह जलालुद्दीन खिलजी के समय छज्जू के विद्रोह के दमन व रणथम्भौर अभियान के मध्य काल की घटना (1290-91) है।

बरनी, जो सीद्दी मौला के वध को 'अन्यायपूर्ण हत्या' बताता है, "मौला के कुचले जाने के दिन ऐसा भयंकर तूफान आया कि संसार में अंधेरा छा गया और इसके बाद भीषण.....

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सीद्दी मौला का विद्रोह

गदर पार्टी

स्थापनाः 1 नवंबर, 1913 ई. को अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को नगर में

संस्थापकः लाला

स्थापनाः 1 नवंबर, 1913 ई. को अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को नगर में

संस्थापकः लाला हरदयाल

अध्यक्षः सोहन सिंह

प्रचार-विभाग के सचिवः लाला हरदयाल

सहयोगी सदस्यः रामचंद्र, बरकतुल्ला, रास बिहारी बोस, राजा महेन्द्र प्रताप, अब्दुल रहमान एवं मैडम भीकाजी कामा।

नोट.....

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गदर पार्टी

महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र


 "रथमुसल" युद्ध हथियार चित्र -1 

 "महाशिलाकंटाक" युद्ध हथियार  चित्र - 2 

लगभग २५०० सालो पहले भारत की धरती पर सम्राट  अजातशत्रु और वज्जि साम्राज्य के बीच गंगा के किनारे मिलने वाले मूल्यवान हीरे ,मोतियो ओर सोने के खनन के लिए भयानक युद्ध हुआ, वज्जि साम्राज्य और.....

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महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र

गान्धार कला की विशेषताएं

गान्धार-शैली की विशेषताऐं -

1 . गान्धार-शैली, शैली की दृष्टि से विदेशी होते हुए भी इसकी आत्मा भारतीय है। इस शैली का प्रमुख लेख्य विषय भगवान् बुद्ध तथा बोधिसत्व हैं।


2. गान्धार-शैली की आत्मा भारतीय होते हुए भी इस पर यूनानी (Hellenistic) प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। इसीलिए गौतम बुद्ध की अधिकांश.....

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गान्धार कला की विशेषताएं

मथुरा कला शैली की विशेषताएं

इस शैली का विकास कुषाण शासक कनिष्क के समय उत्तर भारत में हुआ

मथुरा-कला में बौद्ध धर्म से सम्बन्ध रखने वाली हजारों मूर्तियों का निर्माण हुआ । मथुरा-शैली की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं, जिन्हें संक्षेप में हम इस प्रकार देख सकते हैं-

(1) मथुरा-शैली में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है।.....

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मथुरा  कला शैली की विशेषताएं