मध्यकालीन भारतीय इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोतों में फारसी, अरबी एवं संस्कृत की विभिन्न पुस्तकों के अलावा विभिन्न देशों से भारत की यात्रा पर आए विदेशी यात्रियों के विवरण का भी प्रयोग किया जाता है। इन इतिहासकारों में से बहुत से इतिहासकारों ने सुल्तानों एवं राजाओं के संरक्षण में कार्य किया इस लेख में कुछ अरबी, फारसी एवं संस्कृत की रचनाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है जिससे मध्यकालीन भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
- खजाइन-उल-फुतुह - इस पुस्तक का रचनाकार अमीर खुसरो है इस किताब का एक और अन्य नाम तारीख-ए-अलाई है। इसकी रचना गद्य शैली में की गई है। इसमें अलाउद्दीन के शासन के प्रथम 16 वर्षों की घटनाओं का विवरण मिलता है इस किताब में अमीर खुसरो ने बताया गया है की शतरंज के खेल का आविष्कार भारत में हुआ था साथ ही इस किताब में अलाउद्दीन को विश्व का सुल्तान एवं पृथ्वी के सुल्तानों का सुल्तान तथा युग का विजेता जैसी उपाधियों से विभूषित किया गया है इसके अलावा मलिक काफूर द्वारा दक्षिण अभियानों का वर्णन एवं अलाउद्दीन खिलजी के बाजारो का वर्णन भी इस पुस्तक में मिलता है किंतु अलाउद्दीन खिलजी के समय हुए मंगल आक्रमणों का वर्णन इस किताब में नहीं है।
- राजतरंगिणी - इसकी रचना कल्हण ने कश्मीर की लोहार वंश के शासक जयसिंह के समय में बारहवीं शताब्दी ई. में की। इस किताब में कुल आठ अध्याय एवं 8000 श्लोक हैं। कल्हण के पिता चंपक हर्ष के मंत्री थे। कल्हण द्वार लिखित राजतरंगिणी में जयसिंह तक के इतिहास का वर्णन मिलता है बाद में अनेक इतिहासकारों द्वारा संशोधित करके इसमें 1596 तक के कश्मीर के इतिहास को जोड़ दिया गया।
- तहकीक - ए - हिंद - अलबरूनी द्वारा इस किताब की रचना अरबी भाषा में की गई। अलबरूनी महमुद गजनवी के सैन्य अभियान के दौरान भारत आया था अरबी के अलावा संस्कृत, फारसी भाषा का भी विद्वान था। वह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा कर भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन करता रहा। अपनी पुस्तक में भारत का सजीव वर्णन किया है। भारत की धार्मिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक परंपराओं का वर्णन किया है। अपने विवरण में उसने भारत में वैष्णव संप्रदाय को लोकप्रिय बताया हैं। अलबरूनी को धर्म के तुलनात्मक अध्ययन में काफी रुचि थी उसने भारतीय खगोल, ब्रह्मगुप्त वराहमिहिर कपिल के संख्या, पतंजलि, भागवत गीता, विष्णु पुराण तथा वायु पुराण आदि का अध्ययन किया एवं तुलनात्मक विश्लेषण किया है अलबरूनी ने भारत में 16 जातियों का उल्लेख एवं अछूतों की एक सूची दी है इस किताब को 11वीं शताब्दी के भारत का दर्पण कहा जाता है एडवर्ड सचाउ ने 1888 में इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया इस किताब का एक और अन्य नाम किताब-उल-हिंद है। अलबरूनी ने अपने विवरण में लिखा है कि "हिंदुओं का यह विश्वास है कि उनके देश जैसा कोई देश नहीं है , उनके राष्ट्र जैसा कोई राष्ट्र नहीं है, उनके विज्ञान जैसा कोई विज्ञान नहीं है, उसने यह भी लिखा है कि हिंदुओं के पूर्वज इतने संकीर्ण नहीं थी जितनी की वर्तमान पीढ़ी है"
- तबकात- ए नासिरी - मिनहाजुद्दीन सिराज द्वारा फारसी में इसकी रचना की गई इस किताब में दिल्ली का प्रथम क्रमबद्ध इतिहास मिलता है जिसमें 24 अध्याय नसरुद्दीन महमूद के समय सिराज दिल्ली का मुख्य काज़ी था। इल्तुतमिश ने उसे अर्थ शास्त्री घोषित किया था इसमें सुल्तान नसरुद्दीन महमूद के समय 1260 ई तक का इतिहास वर्णित है H.G. रेवटी ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया है इसमें तबकात -ए- नासिरी सिराज ने रजिया के पतन के बारे में लिखा है कि "उसके सभी गुण किस काम की क्योंकि वह एक स्त्री थी"
- तारीख - ए - फिरोजशाही - जियाउद्दीन बरनी द्वारा लिखित इस पुस्तक में बलबन के राज्याभिषेक 1266 से 1357 ई. तक के दिल्ली के सुल्तानों के इतिहास का वर्णन मिलता है मिराजुद्दीन सिराज ने जहां अपने इतिहास को समाप्त किया है बरनी ने वहीं से इतिहास को शुरू किया है बरनी ने इतिहास को विज्ञान की रानी कहा था यह एकमात्र इतिहासकार है जिसका अंतिम समय में सामाजिक बहिष्कार हो गया तारीख-ए-फिरोजशाह की रचना उसने भटनेर की जेल में की थी
- फतवा - ए - जहांदारी - जियाउद्दीन बरनी द्वारा लिखित इस पुस्तक में मुस्लिम प्रशासन के सिद्धांतो और शासन के आदर्शों का उल्लेख किया है। गजनबी का उसके पुत्रों को दिए गए संदेश का वर्णन भी पुस्तक में मिलता है इस पुस्तक के अलावा बरनी द्वारा शाना-ए -मोहम्मदी एवं हजरतनामा पुस्तकों की रचना की गई जिनमें क्रमशः पैगंबर मोहम्मद की जीवनी एवं मुस्लिम कानून का उल्लेख मिलता है।
- किरान - उस - सादेन - अमीर खुसरो द्वारा कैकूवाद के आदेश पर 1289 ई. में रचित इस पुस्तक में सल्तनत सैनिक पद सरखेल , खान, मालिक एवं तूमन का उल्लेख मिलता है इसके साथ ही बंगाल के सूबेदार बुगरा खा, उसके पुत्र और दिल्ली के सुल्तान की अबध में भेंट का वर्णन मिलता है। इसमें दिल्ली के वैभव का वर्णन भी किया गया है इस किताब में दिल्ली को हजरत दिल्ली कहा गया है
- मिफ्ताह - उल - फुतूह - अमीर खुसरो द्वारा 1291 ई. में रचित यह पुस्तक मलिक छज्जू के विद्रोह और जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के सैनिक अभियानों का उल्लेख हैं।
- नूह सिपेहर -अमीर खुसरो द्वारा रचित इस पुस्तक को 9 भागों में विभाजित किया गया है इसमें मुबारक शाह खिलजी के सैनिक अभियानों का वर्णन एवं भारत की जलवायु, प्रकृति, पशु पक्षी आदि का भी सुंदर वर्णन किया गया है इसी पुस्तक में हिंदुस्तान की प्रशंसा के कारण अमीर खुसरो को तुतिए हिंद कहा जाता है नूह सिपेहर में ही अमीर खुसरो ने भारत को धरती का स्वर्ग कहा है
- चचनामा - मूल रूप से अरबी भाषा में रचित इस पुस्तक में अरबो द्वारा सिंध की विजय का इतिहास मिलता है इसकी रचना मोहम्मद बिन कासिम के किसी अज्ञात सैनिक ने की थी बाद में मोहम्मद अली बिन अबू बक्र के द्बारा नसरुद्दीन कुबाचा के समय चचनामा का फारसी में अनुवाद किया।
- रेहला - इसका रचयिता अबू अब्दुल्ला मोहम्मद उर्फ इब्नबतूता था जो मोरक्को का निवासी था और 1333 ईस्वी में भारत आया, 14 वर्षों तक रहा। मोहम्मद बिन तुगलक एवं इब्नबतूता को 1334 में दिल्ली का कई नियुक्त किया था बाद में सुल्तान ने असंतुष्ट होकर उसे कुछ समय के लिए जेल में डाल दिया। इब्न बतूता मदूरा भी गया वह विभिन्न फसलों फूलों तथा पान का उल्लेख करता है 1341 में सुल्तान ने इब्नबतूता को राजदूत बनकर चीनी सम्राट तोगन तिमूर के दरबार में भेजा परन्तु वह बीच से ही वापस लौट गया और 1353 ईस्वी में मोरक्को पहुंचा, मोरक्को पहुंचने के बाद मोरक्को के सुल्तान की आज्ञा पर उसने अपना यात्रा विवरण लिखा रेहला (सफरनामा) के नाम से प्रकाशित हुआ यह अरबी भाषा में।