गौतम बुद्ध का जीवन परिचय एवं बौद्ध धर्म भाग -1

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गौतम बुद्ध का जीवन परिचय एवं बौद्ध धर्म भाग -1

गौतम बुद्ध का परिचय - बौद्ध  धर्म  के प्रवर्तक महत्मा गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के लुंबिनी ग्राम में साल वृक्ष के नीचे शाक्य क्षत्रिय कुल में हुआ था उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था तथा गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण उन्हें गौतम भी कहा गया है सिद्धार्थ के पिता शुद्धोधन शाक्य कुल के मुखिया थे। तथा माता महामाया थी जो की कोलिय  वंश की राज कन्या थी माता का देहांत बुद्ध के जन्म के 7 वें  दिन हो गया था अतः उनका लालन पालन सिद्धार्थ की मौसी प्रजापति गौतमी ने किया, बचपन से ही सिद्धार्थ की आध्यात्मिक रुचि के कारण 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह शाक्य कुल तथा कोलिय गणराज्य की कन्या यशोधरा से कर दिया गया।   जीवन के 28  वें वर्ष मे सिद्धार्थ को यशोधरा से राहुल नामक पुत्र की जन्म हुआ। 

गौतम बुद्ध की जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाएं -

गृह त्याग-सांसारिक दुखों से द्रवित होकर सिद्धार्थ ने  29 वे वर्ष में गृह त्याग कर दिया गृह त्याग की इस घटना को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहते हैं। सिद्धार्थ अपने घोड़े  कंधक तथा सारथी छन्दक को साथ लेकर गृह त्याग  किया गृह त्याग के पश्चात अनोमा नदी के किनारे अनुवैया स्थान पर पहुंचकर सिर मुड़वा कर भिक्षु वस्त्र धारण किया तथा कंधक और छन्दक को वापस भेज दिया  इसी स्थान पर कालांतर में चूड़ामणि एवं कंठकराम बिहार का निर्माण किया गया गौतम बुद्ध ने सबसे पहले आलार कलाम  को अपना गुरु बनाया जो संख्या दर्शन के आचार्य थे इसी कारण बौद्ध धर्म पर संख्या दर्शन का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है कालांतर में राजगृह के उद्रक (रुद्रक) रामपुत्त  को सिद्धार्थ ने अपना गुरु बनाया मज्झिम  निकाय के अनुसार सिद्धार्थ में बैराग उत्पन्न करने वाले चार दृश्य-

  1. मृत व्यक्ति
  2. रोगी व्यक्ति
  3. मृत व्यक्ति
  4. प्रसन्न मुद्रा में सन्यासी

ज्ञान की प्राप्ति - 35 वर्ष की आयु में उरूबेला में एक  पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि की अवस्था में 49वें दिन वैशाख पूर्णिमा की रात को निरंजना नदी के तट पर सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई ज्ञान प्राप्ति की इस घटना को संबोधि कहा जाता है ज्ञान प्राप्ति के दो दिन बाद ही सिद्धार्थ तथागत हो गए तथा गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए।  विनयपिटक  के अनुसार संबोधि के बाद चार सप्ताह तक बुद्ध विमुक्ति सुख प्रतिसंवेदी होकर बुद्धासन बने रहे।  जब बुद्ध तपस्यारत थे तब मार अथवा कामदेवता ने  प्रलोभनों से उनकी समाधि को बाधित  करने का प्रयास किया।

 उपदेश अथवा धर्म प्रचार- बुद्ध ने सर्वप्रथम तपस्सु  एवं भल्ली नामक दो बंजारों अथवा शूद्रों को गया में बौद्ध धर्म का अनुयाई बनाया उरुवेला से बुद्ध सारनाथ गए तथा वहां पंच ब्राह्मण संन्यासियों को पाली भाषा में प्रथम उपदेश दिया इन पांचो के बाद काशी का श्रेष्टि वर्ग बुद्ध का अनुयाई बना ।  बुद्ध के प्रथम उपदेश को धर्मचक्रप्रवर्तन  कहा जाता है सारनाथ में बुद्ध ने बौद्ध संघ की स्थापना कर बौद्ध संघ में प्रवेश आरंभ किया

प्रथम उपदेश का उल्लेख संयुक्त निकाय में है एवं प्रथम उपदेश में ही बुद्ध ने चार आर्य सत्यों के बारे में बताया बुद्ध ने अपने जीवन के सर्वाधिक उपदेश कोशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए उन्होंने मगध को अपना प्रचार केंद्र बनाया बुद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचारक कौशल राज्य में हुआ कौशल में ही बुद्ध के सर्वाधिक अनुयाई बने  तथा श्रावस्ती में ही सर्वाधिक वर्षा काल व्यतीत किए अंगुलिमाल नमक डाकू को बुद्ध ने श्रावस्ती में ही बौद्ध बनाया था। 

अंतिम समय एवं मृत्यु - महात्मा बुद्ध का निधन 483 ईसा पूर्व में 80 वर्ष की आयु में हिरण्यवती नदी के तट पर 2 साल वृक्षों के बीच कुशीनगर में हुआ बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वाण के नाम से भी जाना जाता है बुद्ध ने कुशीनगर में सुभद्रा को अंतिम उपदेश देते हुए कहा कि सभी  "सांघतिक पदार्थ का विनाश होता है अतः प्रमाद रहित होकर अपना कल्याण करो"

बुद्ध की अनुयाई समकालीन शासक

  • प्रसेनजीत - कोशल
  • अवंती पुत्र -  शुरसेन
  • बिंबिसार  - मगध
  • अजातशत्रु  - मगध
  • महकच्चायन -  अवंती
  • भद्रक  - शाक्य राजा

बुद्ध से संबंधित प्रमुख व्यक्ति

  • प्रजापति गौतमी  - बुद्ध की मौसी
  • यशोधरा- बुद्ध की पत्नी
  • महामाया  - बुद्ध की माता
  • शुद्धोधन - बुद्ध के पिता
  • राहुल - बुद्ध का पुत्र
  • आनंद - बुद्ध का चचेरा भाई एवं प्रिय शिष्य
  • देवदत्त - आनंद का बड़ा भाई एवं बुद्ध का विरोधी
  • नंद  - प्रजापति गौतमी का पुत्र

इस लेख का भाग -2  - बौद्ध धर्म के सिद्धांत एवं साहित्य


~ 16 Nov, 2023

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