कालिदास की प्रमुख रचनाएँ

प्राचीन भारत का इतिहास
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कालिदास की प्रमुख रचनाएँ

प्रथम ई. पू. के महान कवि एवं नाटककार महाकवि कालिदास का जन्म स्थान उज्जैन माना जाता है, परम्पराओं के अनुसार उनको उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के समकालीन माना जाता है परन्तु विद्वान ना तो उनके जन्मस्थान पर एकमत है और ना ही जन्मकाल को लेकर एकमत है परन्तु उन्होंने उच्च कोटि का साहित्य सृजन किया है इसलिए कालिदास को भारत का शेक्सपियर कहा जाता है।  

कालिदास के द्वारा लिखी गए रचनाएँ 

(1) ऋतुसंहार : यह कालिदास की प्रथम काव्य रचना है, जो छः सर्गों (छः ऋतुओं) का एक खंड काव्य है-ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमन्त, शिशिर एवं वसंत।

(2) मेघदूत : पूर्व मेघ तथा उत्तर मेघ में विभक्त खंडकाव्य, वियोग श्रृंगार की उत्कृष्ट रचना।

(3) कुमारसंभव : 17 सर्गों का महाकाव्य, जिसमें शिव एवं पार्वती के पुत्र कुमार (कार्तिकेय) के जन्म की कथा वर्णित है

(4) रघुवंश : 19 सर्गों में विभक्त महाकाव्य, जिसमें राजा दिलीप से लेकर अग्निवर्ण तक चालीस इक्ष्वाकुवंशी राजाओं की चरित्र चित्रण है।

(5) मालविकाग्निमित्र : पाँच अंकों में बंटी कालिदास की प्रथम नाट्य रचना, जिसमें शुंग राजा अग्निमित्र और मालविका की प्रणय कथा वर्णित है।

(6 ) विक्रमोर्वशीय : कालिदास का द्वितीय नाट्य ग्रंथ, पांच अंकों में पुरूरवा एवं उर्वशी की प्रणय कथा।

(7) अभिज्ञान शाकुन्तलम् : कालिदास की  सर्वोत्कृष्ट नाट्य रचना, सात बिन्दुओं में हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त एवं कण्व ऋषि की पलिता पुत्री शकुन्तला के संयोग एवं वियोग स्वरूप का वर्णन

~ 27 Jun, 2024

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