सल्तनत काल में विभिन्न सुल्तानो द्वारा सोने चांदी एवं तांबे के सिक्कों का चलन किया गया जिस से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य संक्षिप्त में यहां दिए गए।
- फिरोज तुगलक के सिक्को पर खानेजहां मकबूल ने लिखा कि "राजा के सिक्के एक कुंवारी पुत्री की तरह है जिसे सुन्दर और आकर्षण होने के बावजूद भी कोई नही पा सकता"
- मुहम्मद बिन तुगलक के सिक्को पर ग्यासुद्दीन तुगलक का नाम 'अल शहीद' उपाधि के साथ अंकित है
- यगनी व दुगनी नामक सिक्के अलाउद्दीन खिलजी ने चलाये (महत्वपूर्ण है)
- चांदी का सिक्का शशगनी को फिरोज तुगलक ने चलाया था
- दुगान ए गियासी नामक सिक्का बलबन ने चलाया
- सर्वप्रथम शुद्ध अरबी सिक्के इल्तुतमिश ने चलाए
- दिल्ली सल्तनत की व्यवस्थित मुद्रा प्रणाली शुरू करने का श्रेय भी इल्तुतमिश को ही है
- मुसलमान शासको मे महमूद गजनवी ने सर्वप्रथम भारतीय ढंग से सिक्के तैयार किये जिसे दिल्लीवाला नाम दिया गया
- मोहम्मद गौरी के सिक्को पर हिन्दू देवी लक्ष्मी का अंकन है
- चांदी का टका व तांबे का जीतल इल्तुतमिश ने चलाए
- सर्वप्रथम इल्तुतमिश के सिक्को पर बगदाद के अंतिम अब्बासी खलीफा अल मुस्तसिर का उल्लेख है
- रजिया के सिक्को पर उसकी उपाधि उमदत उल निस्वां अंकित है
- ग्यासुद्दीन तुगलक के सिक्को पर मुल्के तिलंगान अंकित है
- मोहम्मद बिन तुगलक को एडवर्ड थॉमस ने मुद्रा शास्त्री कहा
- कजरशाह फिरोज तुगलक का तो वही ठाकुर फेरू अलाउद्दीन खिलजी के टकसाल अधिकारी थे।