End of history- क्या है "इतिहास का अंत"

इतिहास महत्वपूर्ण तथ्य
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End of history- क्या है

एंड ऑफ हिस्ट्री शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांस की क्रांति से प्रभावित होकर हिगल ने किया गया, जिसके अनुसार जब नेपोलियन ने पर्शिया के शासक की हत्या की उसी वक्त इतिहास का अंत हो गया,इसके अनुसार फ्रांस की क्रांति एंड ऑफ हिस्ट्री है, जिस दिन स्वतंत्रता,समानता, बंधुता आधारित संवेधानिक राज्य की स्थापना होगी उसी वक्त इतिहास का लक्ष्य पूरा होता है (एंड ऑफ हिस्ट्री)"हिगल"हीगल के बाद इस शब्द को वैश्विक स्तर पर लाने का कार्य फुकूयामा ने किया जो पूंजीवादी विचारधारा से प्रभावित होकर END OF HISTORY नाम से शिकांगो विश्व विद्यालय में एक शोध पत्र प्रकाशित किया यह शोध पत्र अमेरिका की नेशनल इंट्रेस्ट(राष्ट्रीय हित) पत्रिका में प्रकाशित हुआ जिसमे कहा गया 1989 में जब बर्लिन के दीवार गिराई गई रूस की हार और विखंडन के साथ ही शीत युद्ध (विचारधारा का संघर्ष) समाप्त हुआ यही इतिहास का अंत(एंड ऑफ हिस्ट्री) हैं

फुकुयामा के अनुसार एंड ऑफ हिस्ट्री (इतिहास का अंत) विचाराधारा का अर्थ संघर्ष का समाप्त होना है, इतिहास का अंत इतिहास का लक्ष्य प्राप्ति के लिए न कि इतिहास की समाप्ति के लिए, इनके अनुसार इतिहास का लक्ष्य यह था की विचाराधार के स्तर पर संघर्ष समाप्त हो और एक विचारधारा का वर्चस्व पूरी दुनिया में हो, जब साम्यवादी विचारधारा की पराजय के बाद पूजीवादी, उदार जनतंत्र का वर्चस्व हुआ उसी समय इतिहास का लक्ष्य पूरा हो गया, फुकुयामा ने एंड ऑफ हिस्ट्री को सरल भाषा में समझने के लिए 1992 में the end of history and last man पुस्तक लिखी

कार्ल मार्क्स के अनुसार:=इतिहास का लक्ष्य तब पूरा होगा(एंड ऑफ हिस्ट्री) जब शोषण विहीन, वर्ग विहीन, सर्वहारा वर्ग का शासन स्थापित होगा

हीगल के अनुसार:=स्वतंत्रता, समानता,  बंधुता आधारित संवैधानिक राज्य स्थापित होगा वही एंड ऑफ हिस्ट्री है

भारतीयों के अनुसार:= इतिहास की शुरुआत मनु से हुई है और जिस दिन रामराज्य स्थापित होगा उस दिन इतिहास का अंत (इतिहास का लक्ष्य पूरा)हो जाएगा


राजनीति और बाजार एक समान होते हैं, राजनीति से सत्ता प्राप्त होती है और बाजार से मुनाफा और दोनों में ही दलाल लोग होते है जैसे गांधी,नेहरू, पटेल "केंब्रिज संप्रदाय अनिल सील"


राष्ट्रवाद महज सत्ता प्राप्ति का खेल है,सत्ता प्राप्ति हेतु राजनेता कुछ भी कर सकते है समाज सुधार इनका लक्ष्य नहीं

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~ 06 May, 2024

महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र


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लगभग २५०० सालो पहले भारत की धरती पर सम्राट  अजातशत्रु और वज्जि साम्राज्य के बीच गंगा के किनारे मिलने वाले मूल्यवान हीरे ,मोतियो ओर सोने के खनन के लिए भयानक युद्ध हुआ, वज्जि साम्राज्य और.....

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गान्धार कला की विशेषताएं

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1 . गान्धार-शैली, शैली की दृष्टि से विदेशी होते हुए भी इसकी आत्मा भारतीय है। इस शैली का प्रमुख लेख्य विषय भगवान् बुद्ध तथा बोधिसत्व हैं।


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मथुरा कला शैली की विशेषताएं

इस शैली का विकास कुषाण शासक कनिष्क के समय उत्तर भारत में हुआ

मथुरा-कला में बौद्ध धर्म से सम्बन्ध रखने वाली हजारों मूर्तियों का निर्माण हुआ । मथुरा-शैली की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं, जिन्हें संक्षेप में हम इस प्रकार देख सकते हैं-

(1) मथुरा-शैली में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है।.....

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नयनार कोन थे?

दक्षिण भारत में शिवपूजा का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार-प्रसार नयनारों द्वारा किया गया। नयनार सन्तों की संख्या 63 बतायी गयी है जिनमें अप्पार, तिरुज्ञान, सम्बन्दर, सुन्दरमूर्ति, मणिक्कवाचगर आदि के नाम उल्लेखनीय है। इनके भक्तिगीतों को एक साथ देवालय में संकलित किया गया। इनमें.....

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राजा राममोहन राय

• भारत के पुनर्जागरण के प्रणेता और एक अथक समाज सुधारक राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के राधानगर में हुआ था।

• इनकी प्रारंभिक शिक्षा फारसी और अरबी भाषा में पटना में हुई, जहाँ उन्होंने कुरान, सूफी रहस्यवादी कवियों के कार्य तथा प्लेटो और अरस्तू.....

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