मुगलकाल में आये प्रमुख विदेशी यात्री

मध्यकालीन भारत का इतिहास
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मुगलकाल में आये प्रमुख विदेशी यात्री

1. राल्फ फिच (1583-91 ई.): यह अकबर के समय में पहुँचने वाल अंग्रेज यात्री था। इसने फतेहपुर सीकरी एवं आगरा की तुलना लंदन से किया था।

2. कैप्टन हाकिन्स (1608-11 ई.): यह ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में जहाँगीर के दरबार में पहुँचा। जहाँगीर ने इसे 400 का मनसब प्रदान किया।

3. सर टामस रो (1615-18 ई): यह ब्रिटिश सम्राट जेम्स । के राजदूत के रूप में जहाँगीर के दरबार में आया था।

4. पित्रो- डेलावले (1623-26 ई.): यह इटली यात्री 1623 ई. में सूरत पहुँचा था। इस समय जहाँगीर शासक था।

5. पीटर मुंडी (1630-34 ई.): यह इटली यात्री शाहजहाँ के शासनकाल में भारत की यात्रा की


6. ट्रैववर्नियरः यह इटली यात्री (1638-63 ई. ) भारत की 6 बार यात्रा की तथा हीरा का व्यापारी होने के कारण हीरा व्यापार के बारे में महत्वपूर्ण विवरण दिया है।।

7. मनूची (1653-1708 ई.): यह इटली यात्री यहाँ आकर शाहजहां  के समय  दाराशिकोह की सेना में तोपची की नौकरी कर ली। बाद में चिकित्सक का पेशा अपनाया।

8. बर्नियर (1665-1707 ई.): शाहजहाँ के समय में भारत आया शाहजहाँ के पुत्रों के बीच उत्तराधिकार के युद्धों का वर्णन किया है।।.....

~ 22 Apr, 2024

गुरु नानक देव जी: जीवन, शिक्षाएँ और योगदान

परिचय

गुरु नानक देव जी (1469-1538 ई.) सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। वे अपने आध्यात्मिक संदेश और समाज सुधार के कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने धार्मिक भेदभाव का विरोध.....

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गुरु नानक देव जी: जीवन, शिक्षाएँ और योगदान

बाण का हर्षचरित

वर्धन वंश के इतिहास का सर्व प्रमुख स्रोत 'हर्षचरित' है जो ऐतिहासिक विषय पर लिखित प्रथम 'चरित काव्य' तथा 'गद्यकाव्य' है। बाणभट्ट मूलतः प्रीतिकूट गांव के वात्स्यायन गोत्रीय तथा भृगुवंशी ब्राह्मणों से संबंधित था। उसने अपने भाइयों (मुख्यता श्यामल) की इच्छा पर 'हर्षचरित' नामक काव्य संग्रहित किया। जो सर्वदीपभुज महाराजाधिराज.....

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बाण का हर्षचरित

सीद्दी मौला का विद्रोह

 यह जलालुद्दीन खिलजी के समय छज्जू के विद्रोह के दमन व रणथम्भौर अभियान के मध्य काल की घटना (1290-91) है।

बरनी, जो सीद्दी मौला के वध को 'अन्यायपूर्ण हत्या' बताता है, "मौला के कुचले जाने के दिन ऐसा भयंकर तूफान आया कि संसार में अंधेरा छा गया और इसके बाद भीषण.....

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सीद्दी मौला का विद्रोह