प्रमुख वायसराय एवं गवर्नर जनरल और उनसे द्वारा किये गए समाज सुधार

इतिहास महत्वपूर्ण तथ्य
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प्रमुख वायसराय एवं गवर्नर जनरल और उनसे द्वारा किये गए समाज सुधार

ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों एवं कुरीतियों को सुधारने के लिए समय-समय पर प्रयास  किये गए जो भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने के लिए मी ल का पत्थर साबित हुए इन समाज सुधारकों में विलियम बैंटिक, लॉर्ड एलनबरो एवं वारेन हेस्टिंग सर्व प्रमुख है वायसराय और उनके द्वारा किए गए कार्य निम्नलिखित है। 

  • नवजात कन्या हत्या कानून - बर्ष 1795 में जॉन शोर द्वारा नवजात कन्याओं की हत्या पर रोक लगाई गयी।
  • बाल हत्या निरोधक कानून - बर्ष 1804 में लार्ड वेलेजली  द्वारा नवजात शिशुओं को मारने पर रोक लगाई गयी।
  • सतीप्रथा निषेध कानून - बर्ष 1829 में विलियम बैंटिक ने राजा राममोहन राय के प्रयासो से सती प्रथा पर कानूनी रोक लगाई गयी।
  • दास प्रथा निषेध - बर्ष 1843 में लॉर्ड एलनबरो 1833 के चॉर्टर अधिनियम द्वारा 1843 को दास प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया गया।
  • हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम -  बर्ष 1856   में लार्ड डलहौजी  द्वारा विधवा विवाह को कानुनी मान्यता यह कानून विद्यासागर के प्रयास से लागू हुआ। 
  • नेटिव मैरिज एक्ट -  बर्ष 1872  में  नार्थब्रुक द्वारा अन्तर्जातीय विवाह की विधिक मान्यता यह कानून केशव चन्द्र के प्रयास से लागू हुआ।  
  • सम्मति आयु अधिनियम -  बर्ष 1891   में लैंसडाउन  द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के बालकों के विवाह पर रोकयह कानून बहरामजी मालबारी के प्रयास से लागू हुआ
  • शारदा एक्ट -  बर्ष 1929  में  लार्ड इरविन द्वारा  बालकों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं बालिकाओं के लिए 14 वर्ष निश्चित यह कानून हरविलास के प्रयास से लागू हुआ 
  • हिन्दू महिला सम्पत्ति कानून -  बर्ष  1937  में  लार्ड आकलैण्ड  द्वारा हिन्दू महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार दिया गया ।

~ 05 Nov, 2023

महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र


 "रथमुसल" युद्ध हथियार चित्र -1 

 "महाशिलाकंटाक" युद्ध हथियार  चित्र - 2 

लगभग २५०० सालो पहले भारत की धरती पर सम्राट  अजातशत्रु और वज्जि साम्राज्य के बीच गंगा के किनारे मिलने वाले मूल्यवान हीरे ,मोतियो ओर सोने के खनन के लिए भयानक युद्ध हुआ, वज्जि साम्राज्य और.....

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महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र

गान्धार कला की विशेषताएं

गान्धार-शैली की विशेषताऐं -

1 . गान्धार-शैली, शैली की दृष्टि से विदेशी होते हुए भी इसकी आत्मा भारतीय है। इस शैली का प्रमुख लेख्य विषय भगवान् बुद्ध तथा बोधिसत्व हैं।


2. गान्धार-शैली की आत्मा भारतीय होते हुए भी इस पर यूनानी (Hellenistic) प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। इसीलिए गौतम बुद्ध की अधिकांश.....

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गान्धार कला की विशेषताएं

मथुरा कला शैली की विशेषताएं

इस शैली का विकास कुषाण शासक कनिष्क के समय उत्तर भारत में हुआ

मथुरा-कला में बौद्ध धर्म से सम्बन्ध रखने वाली हजारों मूर्तियों का निर्माण हुआ । मथुरा-शैली की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं, जिन्हें संक्षेप में हम इस प्रकार देख सकते हैं-

(1) मथुरा-शैली में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है।.....

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मथुरा  कला शैली की विशेषताएं

नयनार कोन थे?

दक्षिण भारत में शिवपूजा का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार-प्रसार नयनारों द्वारा किया गया। नयनार सन्तों की संख्या 63 बतायी गयी है जिनमें अप्पार, तिरुज्ञान, सम्बन्दर, सुन्दरमूर्ति, मणिक्कवाचगर आदि के नाम उल्लेखनीय है। इनके भक्तिगीतों को एक साथ देवालय में संकलित किया गया। इनमें.....

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नयनार कोन थे?

राजा राममोहन राय

• भारत के पुनर्जागरण के प्रणेता और एक अथक समाज सुधारक राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के राधानगर में हुआ था।

• इनकी प्रारंभिक शिक्षा फारसी और अरबी भाषा में पटना में हुई, जहाँ उन्होंने कुरान, सूफी रहस्यवादी कवियों के कार्य तथा प्लेटो और अरस्तू.....

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राजा राममोहन राय