Indian history gk topics, articles in hindi

भारत का इतिहास

पाकिस्तान की एक पृथक राष्ट्र के रूप में माँग

23 मार्च, 1940 ई. को मुस्लिम लीग का अधिवेशन  लाहौर में हुआ। इसकी अध्यक्षता मु. अली जिन्ना ने की। इस अधिवेशन में भारत से अलग एक मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की मांग की गयी। जिन्ना ने अधिवेशन में भाषण देते हुए कहा कि वे एक अलग मुस्लिम राष्ट्र के अतिरिक्त और कुछ स्वीकार नहीं.....

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पाकिस्तान की एक पृथक राष्ट्र के रूप में माँग

नयनार कोन थे?

दक्षिण भारत में शिवपूजा का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार-प्रसार नयनारों द्वारा किया गया। नयनार सन्तों की संख्या 63 बतायी गयी है जिनमें अप्पार, तिरुज्ञान, सम्बन्दर, सुन्दरमूर्ति, मणिक्कवाचगर आदि के नाम उल्लेखनीय है। इनके भक्तिगीतों को एक साथ देवालय में संकलित किया गया। इनमें.....

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नयनार कोन थे?

1842 का बुंदेला विद्रोह

8 अप्रैल, 1842 ई. को बुन्देलखण्ड में बुन्देला विद्रोह की भागीदारी अंकित है। जिसके नेतृत्वकर्ता नरहट के मधुकर शाह एवं गणशज, चन्द्रापुर के जवाहर सिंह, गुढ़ा के विक्रमजीत सिंह, चिरगांव के बखत सिंह, जाखलौन एवं पिपरिया के भुजबल सिंह व महीप सिंह, हीरापुर के राजा हिरदेशशाह, मदनपुर के डेलन सिंह.....

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1842 का बुंदेला विद्रोह

संन्यासी विद्रोह

  • बंगाल में 1770 ई. के अकाल व तीर्थ स्थलों की यात्रा पर लगे प्रतिबन्ध ने हिन्दू नागा व गिरि संन्यासियों को विद्रोह करने पर मजबूर किया।
  • यह संन्यासी शंकराचार्य के अनुयायी थे।
  • सन्यासी विद्रोह का नेतृत्व द्विजनारायण, केना सरकार ने किया था।
  • संन्यासियों ने बोगरा और मैमन सिंह में अपनी स्वतन्त्र सरकार बनाई।
  • बाद.....
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संन्यासी विद्रोह

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

माउन्टबेटेन योजना के आधार पर ब्रिटिश संसद द्वारा पारित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के प्रमुख प्रावधान निम्न थेः

(1) भारत तथा पाकिस्तान नामक दो डोमिनियनों की स्थापना के लिए 15 अगस्त, 1947 की तारीख निश्चित की गयी।

(2) इसमें भारत का क्षेत्रीय विभाजन भारत तथा पाकिस्तान के रूप में करने तथा बंगाल.....

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भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

राजा राममोहन राय

• भारत के पुनर्जागरण के प्रणेता और एक अथक समाज सुधारक राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के राधानगर में हुआ था।

• इनकी प्रारंभिक शिक्षा फारसी और अरबी भाषा में पटना में हुई, जहाँ उन्होंने कुरान, सूफी रहस्यवादी कवियों के कार्य तथा प्लेटो और अरस्तू.....

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राजा राममोहन राय

भारत में प्राचीन मृदभाण्ड परंपराओं का इतिहास

प्राचीन मृदभाण्ड हमारे अतीत की झलकियां हैं। ये मिट्टी के बर्तन न केवल उस समय की संस्कृति और कला को दर्शाते हैं, बल्कि उस युग के लोगों की जीवनशैली और आर्थिक स्तर का भी संकेत देते हैं। भारत में विभिन्न प्रकार की मृदभाण्ड परंपराएं प्रचलित रही हैं, जिनका विकास क्रमिक.....

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भारत में प्राचीन मृदभाण्ड परंपराओं का इतिहास

इतिहास से जुडी प्रमुख्य शाखायें

  1.  एपीग्राफी (Epigraphy): यह प्राचीन शिलालेखों, अभिलेखों और पत्थरों पर खुदी लिखावटों का अध्ययन करने वाली शाखा है। इसका उद्देश्य प्राचीन समाजों के इतिहास, भाषा और संस्कृति को समझना है।
  2. न्यूमिस्मेटिक्स (Numismatics): यह सिक्कों, मुद्राओं और प्राचीन मुद्रा प्रणालियों का अध्ययन करने वाली शाखा है। इसके.....
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इतिहास से जुडी प्रमुख्य शाखायें

End of history- क्या है "इतिहास का अंत"

एंड ऑफ हिस्ट्री शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांस की क्रांति से प्रभावित होकर हिगल ने किया गया, जिसके अनुसार जब नेपोलियन ने पर्शिया के शासक की हत्या की उसी वक्त इतिहास का अंत हो गया,इसके अनुसार फ्रांस की क्रांति एंड ऑफ हिस्ट्री है, जिस दिन स्वतंत्रता,समानता, बंधुता आधारित संवेधानिक राज्य.....

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End of history- क्या है

मुगलकाल में आये प्रमुख विदेशी यात्री

1. राल्फ फिच (1583-91 ई.): यह अकबर के समय में पहुँचने वाल अंग्रेज यात्री था। इसने फतेहपुर सीकरी एवं आगरा की तुलना लंदन से किया था।

2. कैप्टन हाकिन्स (1608-11 ई.): यह ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में जहाँगीर के दरबार में पहुँचा। जहाँगीर ने इसे 400 का मनसब.....

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मुगलकाल में आये प्रमुख विदेशी यात्री

1857 की क्रांति- मंगल पाण्डेय

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास लेखन का सबसे दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि बरतानिया सरकार के विरुद्ध जितने भी सशस्त्र स्वतंत्रता संग्राम हुए, उनको विद्रोह, गदर, लूट, डकैती और आतंकवाद की संज्ञा दे दी गई और बरतानिया  सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शासन में सहभागिता कर.....

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1857 की क्रांति- मंगल पाण्डेय

पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख

स्थिति- बीजापुर (कर्नाटक) के मेगुती मंदिर की पश्चिमी दीवार पर 
भाषा- संस्कृत  
लेखक
- रविकीर्ति  
लिपि- दक्षिणी ब्राह्मी  
कुल पंक्तियां- 19  
कुल पद्य-37  
वर्ष- यह अभिलेख 634 ई. ( शक संवत् 556) में लिखा गया था।  

विशेष - (1) इसी लेख में कालिदास एवं भारवि का उल्लेख मिलता है ।

(2) इसी.....

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पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख