सिंध से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

इतिहास महत्वपूर्ण तथ्य
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सिंध से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

सिधं  वर्तमान पाकिस्तान में राजस्थान से सटा हुआ प्रांत है। वर्तमान में इसकी राजधानी कराची है जो 1991 से पहले पाकिस्तान की राजधानी हुआ करती थी।   सिधं मे ही सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हुआ था। मोहनजोदडो़ ,अलिमुराद ,आमरी ,चन्हुदडो़,कोटदीजी और जूदेरजोदडो़ सिंधु घाटी सभ्यता के समय यहां के प्रमुख स्थल थे यहीं पर कपास का उत्पादन किया जाता था जिसे यूनानी लोग सीडंन  कहते थे और सिंधु नदी को इडंस बोलते थे 


 भारत पर अरबों का पहला आक्रमण 712 में हुआ था जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध के राजा दाहिर पर आक्रमण किया था उसमें दाहिर की रानी रानी बाई ने भारत का पहला जौहर किया था

 सिंध के ऊपर चर्चा करने के लिए 1831 में लॉर्ड विलियम बेंटिक और महाराजा रणजीत सिंह के बीच रोपड़ में बैठ भी हुई लेकिन वह किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाई

ब्रिटिश काल में जब इसका विलय ब्रिटिश साम्राज्य में किया गया  तब "एक व्यक्ति अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए व्याकुल होता है उसी प्रकार यह व्यक्ति युद्ध के लिए व्याकुल था "यह कथन बटलर ने सर चार्ल्स की जीवनी में एलनबरों के बारे में कहा था जो उस समय भारत के गवर्नर जनरल थे और 1843 में नेपियर के नेतृत्व में सिधं का विलय भारत में हो गया था


"हमे सिंध को जीतने  का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन हम फिर भी एेसा करेंगें और यह बदमाशी का एक बहुत ही लाभदायक उपयोगी और मानवीय उदाहरण होगा "- नेपियर

~ 04 Nov, 2023

महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र


 "रथमुसल" युद्ध हथियार चित्र -1 

 "महाशिलाकंटाक" युद्ध हथियार  चित्र - 2 

लगभग २५०० सालो पहले भारत की धरती पर सम्राट  अजातशत्रु और वज्जि साम्राज्य के बीच गंगा के किनारे मिलने वाले मूल्यवान हीरे ,मोतियो ओर सोने के खनन के लिए भयानक युद्ध हुआ, वज्जि साम्राज्य और.....

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महाशिलाकंटाक, रथमुसल प्राचीन भारत के अस्त्र

गान्धार कला की विशेषताएं

गान्धार-शैली की विशेषताऐं -

1 . गान्धार-शैली, शैली की दृष्टि से विदेशी होते हुए भी इसकी आत्मा भारतीय है। इस शैली का प्रमुख लेख्य विषय भगवान् बुद्ध तथा बोधिसत्व हैं।


2. गान्धार-शैली की आत्मा भारतीय होते हुए भी इस पर यूनानी (Hellenistic) प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। इसीलिए गौतम बुद्ध की अधिकांश.....

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गान्धार कला की विशेषताएं

मथुरा कला शैली की विशेषताएं

इस शैली का विकास कुषाण शासक कनिष्क के समय उत्तर भारत में हुआ

मथुरा-कला में बौद्ध धर्म से सम्बन्ध रखने वाली हजारों मूर्तियों का निर्माण हुआ । मथुरा-शैली की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं, जिन्हें संक्षेप में हम इस प्रकार देख सकते हैं-

(1) मथुरा-शैली में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है।.....

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मथुरा  कला शैली की विशेषताएं

नयनार कोन थे?

दक्षिण भारत में शिवपूजा का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार-प्रसार नयनारों द्वारा किया गया। नयनार सन्तों की संख्या 63 बतायी गयी है जिनमें अप्पार, तिरुज्ञान, सम्बन्दर, सुन्दरमूर्ति, मणिक्कवाचगर आदि के नाम उल्लेखनीय है। इनके भक्तिगीतों को एक साथ देवालय में संकलित किया गया। इनमें.....

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नयनार कोन थे?

राजा राममोहन राय

• भारत के पुनर्जागरण के प्रणेता और एक अथक समाज सुधारक राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के राधानगर में हुआ था।

• इनकी प्रारंभिक शिक्षा फारसी और अरबी भाषा में पटना में हुई, जहाँ उन्होंने कुरान, सूफी रहस्यवादी कवियों के कार्य तथा प्लेटो और अरस्तू.....

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राजा राममोहन राय